अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये का मूल्य मांग और आपूर्ति के आधार पर काम करता है.
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये का मूल्य मांग और आपूर्ति के आधार पर काम करता है.
उसी तरह से अमेरिकी डॉलर की मांग में कमी आती है, तो भारतीय रुपया मजबूत होता है.
उदाहरण के लिए यदि कोई देश निर्यात से अधिक आयात करता है, तो डॉलर की मांग आपूर्ति से अधिक होगी, तो भारतीय मुद्रा में डॉलर के मुकाबले मूल्यह्रास होगा.
इन दिनों रुपये की गिरावट मुख्य रूप से कच्चे तेल की ऊंची कीमतों, विदेशों में मजबूत डॉलर और विदेशी पूंजी के आउटफ्लो की वजह से देखी जा रही है.
खासकर, रूस-यूक्रेन युद्ध, वैश्विक आर्थिक चुनौतियों, मुद्रास्फीति और कच्चे तेल की ऊंची कीमतों सहित अन्य मुद्दों के मद्देनजर आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के बाद इस साल की शुरुआत से रुपये में डॉलर के मुकाबले कमजोरी देखी जा रही है.